बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्त्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
उत्तर -
(Meaning of Culture)
"संस्कृति" शब्द का जन्म "संस्कार" शब्द से हुआ है जो संस्कार व्यक्ति को संस्कृत बनाते हैं उसे "संस्कृति" नाम से सम्बोधित किया जाता है। भारतीय संस्कृति के अन्तर्गत संस्कारों का बहुत महत्त्व है। गर्भाधान से लेकर मानव के पुनर्जन्म तक विविध संस्कार किये जाते हैं जिससे मानव सुसंस्कृत बनता है। जन्म होने पर नामकरण संस्कार, वेदारम्भ (शिक्षारम्भ) संस्कार, (उपनयन) (यज्ञोपवीत) संस्कार, विवाह संस्कार तथा अन्त्येष्टि (मृत्यु) संस्कार इत्यादि विविध संस्कार होते हैं जो विकासशील बालक को उसके सदाचारपूर्ण कर्त्तव्यों का स्मरण दिलाते रहते हैं और एक आदर्श मानव बनने के लिए प्रेरित करते हैं।
सही अर्थ में संस्कारों द्वारा सुसंस्कृत होकर जीवन के सभी दृष्टिकोणों का व्यावहारिक प्रदर्शन ही संस्कृति है जिसके आधार व्यवहार की भाषा, कौटुम्बिक जीवन, सर्वशक्तिमान सत्ता में विश्वास, आर्थिक व्यवस्था, नियन्त्रण-साधन, ऐश्वर्य, मान्यताएँ, परम्पराएँ, प्रथाएँ और मनोवृत्तियाँ होती हैं। जीवन के आदर्श और लक्ष्य भी सांस्कृतिक प्रक्रियाओं की दिशा निर्धारित किया करते हैं।
(Need and Importance of Culture)
संस्कृति की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है-
1. संस्कृति समाजीकरण में सहायक होती है - शिक्षा का एक प्रमुख कार्य बालक का समाजीकरण करना भी है। एक समाज की संस्कृति उसकी मान्यताओं, परम्पराओं तथा विश्वासों में होती है, ये ही समाजीकरण के आधार भी होते हैं। जब बालक संस्कृति का अध्ययन करता है तो उसे समाजीकरण के आधार प्राप्त हो जाते हैं। उन सामाजिक आधारों को ग्रहण करके वह सामाजिक व्यवहार करना सीख जाता है।
2. संस्कृति व्यक्तित्त्व निर्माण में सहायक है - जैसे-जैसे बालक की आयु बढ़ती है वैसे ही उसके अनुभवों में भी वृद्धि होती है। पहले वह कुटुम्ब के सम्पर्क में आता है, फिर कई कुटुम्बों के सम्पर्क में आता है और इस प्रकार वह अपने नगर, जिले, प्रदेश, देश और विश्व के सम्पर्क में आता है। उसे सम्पर्क बढ़ने के साथ ही विशिष्ट स्वानुभव प्राप्त होते हैं, जिन्हें वह अपने जीवन का अंग बना लेता है। उसके जीवन में आये अनुभव का उसके व्यक्तित्त्व पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार उसके व्यक्तित्त्व का निर्माण होता है।
3. संस्कृति के माध्यम से बालक जीवन-यापन करना सीखता है - शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को इस योग्य बनाना है कि वह सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सके। व्यक्ति ऐसा जीवन तभी व्यतीत करता है जब उसके जीवन में संघर्ष कम आयें और उसमें अनुकूल शक्ति विद्यमान हो। संस्कृति व्यक्ति के जीवन में संघर्षों को कम करती है और उसे वातावरण के प्रति अनुकूलित होने की क्षमता प्रदान करती है।
4. संस्कृति सामाजिक व्यवहार की दिशा निर्धारित करती है— जब बालक अपनी संस्कृति से परिचित होता है तो वह उसके अनुकूल सामाजिक आदर्शों, मान्यताओं, विश्वासों तथा परम्पराओं के अनुकूल कार्य करना प्रारम्भ कर देता है। इस प्रकार बालक संस्कृति के माध्यम से सामाजिक व्यवहार की दिशा प्राप्त करता है।
5. संस्कृति पारस्परिक प्रेम और एकता में बाँधती है - सभी देशों की अपनी संस्कृति होती है जो व्यक्ति अपने देश और समाज की संस्कृति से प्रेम करता है। वह सभी सम्बन्धित संस्कृतियों में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों के प्रति प्रेम का भाव रखने लगता है। इससे एकता की भावना का विकास होता है।
6. संस्कृति राष्ट्रीय भाषा का स्वरूप निर्धारित करती है - संस्कृति का आधार प्रचलित भाषा होती है। आज भारत में हिन्दी भाषा को प्रायः सभी क्षेत्रों के लोग समझते हैं। इसलिए हिन्दी भाषा को भारतीय संस्कृति का वाहक मानकर राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है।
7. संस्कृति के द्वारा व्यक्ति प्रकृति से अनुकूलन करना सीखता है - एक विकसित संस्कृति का पोषक व्यक्ति प्रकृति को अपने अनुकूल ढालने का प्रयास करता है। वह दुर्गम स्थलों पर अपने आवागमन के मार्ग प्रशस्त करता है, रहने के समुचित आवास बनाता है, सिंचाई के साधन न होने पर उसकी व्यवस्था करता है और समुद्र पर विजय पाने के लिए जलयान बनाता है। इस प्रकार व्यक्ति प्राकृतिक वातावरण से संघर्ष करके उसे अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करता है।
(Our Traditions)
भारतीय संस्कृति की यह एक प्रमुख विशेषता है कि उसमें विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक परम्पराओं का प्राचीन काल से ही निर्वाह देखने को मिलता है। उसमें प्रत्येक भिन्नता को आत्मसात् करने की अद्वितीय क्षमता है। इस सन्दर्भ में श्री घनश्याम बिड़ला ने एक स्थान पर लिखा है, "हम बदलते हैं। नई चीजों को हमने अपनाया है; पर जो रस तीन या चार हजार वर्ष पहले प्रवाहित था, वही आज भी हमारे वातावरण में ज्यों-का-त्यों है। हमारी एक परम्परा है जो इसी जमीन की मिट्टी के कण-कण में ऐसी बिखर गई है कि वह लगातार जीवित रही है।
भारत की पवित्र नदी गंगा के स्वरूप और महत्त्व को लोगों ने विभिन्न कोणों से देखा और सराहा है। एक ओर वैज्ञानिकों और अभियन्ताओं ने बाँध बाँधकर सिंचाई के लिए नहरें निकाली हैं और भारतीय उर्वरा भूमि को शस्य श्यामला बनाने का प्रयत्न किया है। दूसरी ओर हमारे ऋषियों-मुनियों और तपस्वियों ने इसके किनारे पर बैठकर परमात्मा की प्राप्ति के लिए साधना-प्रार्थना और तपस्या की है और स्वर्ग के दर्शन किये हैं। इस प्रकार भारतीय संस्कृति के स्वरूप को विद्वानों ने, विचारकों ने और विभिन्न धर्मावलम्बियों ने अनेक रूपों में देखा और व्यक्त किया है। भारतीय संस्कृति का स्वरूप भी गंगा की तरह विस्तृत होता चला गया है। एक ओर इसमें बौद्ध धर्म के स्तूप और अवशेष; जैनियों के मन्दिर, एलोरा - अजन्ता, राजाओं-महाराजाओं के महल और कोट द्वार सम्मिलित हैं तो दूसरी ओर लालकिला, कुतुबमीनार, ताजमहल, सेण्ट जेवियर का गिरजाघर तथा अन्य शिल्प और कला की प्राचीन और अर्वाचीन निधियाँ इनको समृद्ध बना रही हैं। हमारे अचार-विचार, रहन-सहन, भोजन वस्त्र, भाषा, तीज-त्यौहार, पूजा-पाठ इसमें समा गए हैं।
भारतीय संस्कृति के इस विस्तृत दृष्टिकोण के कारण हमारी विचाराधाराओं में सहिष्णुता और शालीनता आ गई है। सेवा, शान्ति, सत्य और अहिंसा को लेकर देश-प्रेम, राष्ट्र प्रेम, मानव-प्रेम तथा व्यक्तिगत और सामूहिक बलिदान-भावना; बुराई, अन्याय, अशिष्टता और अभारतीयता के प्रति घृणा हमारी संस्कृति के अंग बन गये हैं। यह भारतीय संस्कृति जिसकी जड़ें ऋग्वेद के आदि मन्त्रों में निहित है और जिसका सुदृढ़ तना असंख्य परम्परागत शाखाओं और फूल-पत्तियों से आच्छादित हो गया है - भारतीय संस्कृति के ऐसे वृक्ष की कल्पना करके ही हम अपनी शिक्षा के स्वरूप के विषय में विचार कर सकते हैं।
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- प्रश्न- समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र को जन्म देने वाली प्रवृत्तियाँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पारिभाषिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समझाइये |
- प्रश्न- समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बालक पर भारतीय समाज के विभिन्न प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए पाठ्यक्रम में किस प्रकार के बदलाव किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- शिक्षा की समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति ने शिक्षा में कौन-सी नयी विचारधाराओं को उत्पन्न किया?
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण व सामूहिक जीवन हेतु विभिन्नता में एकता की स्थापना करने वाले घटकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण एवं सामूहिक रहने के लिये विभिन्नता में एकता स्थापित करने में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ स्पष्ट करते हुए धर्मनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सन्दर्भ में धर्मनिरपेक्ष राज्य की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता सम्बन्धी प्रावधानों को भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता को प्रोत्साहित करने वाले कारक कौन-से हैं? धर्मनिरपेक्षता के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के कारण भारतीय समाज में क्या परिवर्तन हुए?
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की विशेषताओं एवं इसके विकास में विद्यालय की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रक्रिया, रूप एवं प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रूप बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास का क्या अर्थ है? आर्थिक विकास के साधन के रूप में शिक्षा के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्त्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा एक सामाजिक एवं गत्यात्मक प्रक्रिया है। " इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रक्रिया की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक परिवर्तन से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति और समाज के मध्य सम्बन्धों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- वर्तमान समाज में परिवार का स्वरूप बदल गया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक व्यवस्था में असमानताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
- प्रश्न- सामाजीकरण में परिवार का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- सामाजिक व्यवस्था की मुख्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बन्धित है?
- प्रश्न- सांस्कृतिक विकास की कुछ समस्याएँ बताइये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा सांस्कृतिक परिवर्तन कैसे लाती है?
- प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (समाजशास्त्र और शिक्षा का सम्बन्ध)
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिये। संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की अवधारणा बताइए। भारतीय संविधान के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अन्तर्गत वर्णित शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न धाराओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न प्रावधान क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान में लिखित नीति-निदेशक तत्त्वों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- समानता, बन्धुता, न्याय व स्वतंत्रता की संवैधानिक वादे के संदर्भ में शिक्षा के लक्ष्यों से सम्बन्धित संवैधानिक मूल्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थीं?
- प्रश्न- प्रस्तावना से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 45 का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्रजातन्त्र के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र के प्रमुख गुण व दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र का क्या अर्थ है? भारतीय लोकतंत्र के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय लोकतन्त्र के मूल सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्रीय समाज में शिक्षा के क्या उद्देश्य होने चाहिए? उनमें से किसी एक की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "आधुनिक शिक्षा में लोकतांत्रिक प्रवृष्टि दृष्टिगोचर होती है।' स्पष्ट कीजिए तथा लोकतांत्रिक समाज में विद्यालयों की भूमिका पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनतंत्र केवल प्रशासन की एक विधि ही नहीं है वरन् यह एक सामाजिक प्रणाली भी है। व्याख्या कीजिए |
- प्रश्न- भारत जैसे लोकतन्त्रीय राष्ट्र में शिक्षा के उद्देश्य किस प्रकार के होने चाहिए?
- प्रश्न- शिक्षा का लोकतन्त्रीकरण क्या है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जनतंत्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जनतंत्र पर शिक्षा के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में जनतन्त्र से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण पूर्णतः स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रजातन्त्र से आप क्या समझते हैं? विद्यालय में प्रजातान्त्रिक वातावरण बनाए रखने के लिए आप क्या प्रयास करेंगे?
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और अनुशासन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षक एवं शिक्षार्थी में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र में विद्यालयों की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- लोकतंत्र में शिक्षा का अन्य पहलू क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के लिए शिक्षा की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारत का संविधान )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा एवं प्रजातंत्र )
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? समानता के क्षेत्र एवं भारत में यह कहाँ तक उपलब्ध है?
- प्रश्न- अनुसूचित जातियों से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं को बताइये तथा इनके समाधान के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति की समस्याओं के समाधान के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अल्पसंख्यक की अवधारणा बताइये। अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिये किये गये प्रयासों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- ईसाई धर्म ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित किया है? उचित उदाहरणों की सहायता से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में सार्वभौमीकरण से क्या तात्पर्य है? शिक्षा में सार्वभौमीकरण की कितनी अवस्थायें एवं वर्तमान में इनकी आवश्यकता एवं महत्व के कारण बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा की सार्वभौमीकरण की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सार्वभौम एवं समावेशी शिक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवं प्रभावपूर्ण बनाने में शिक्षक की भूमिका की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अधिगम संदर्भ में व्याप्त विविधताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
- प्रश्न- 'जातीय व सामाजिक विविधता तथा अध्यापक' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध से आप क्या समझते हैं? आज के युग में अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के विकास हेतु शिक्षा का कार्य और शिक्षा की योजना कीजिए?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के लिए शिक्षा का सिद्धान्त आवश्यक है समझाइये |
- प्रश्न- पाठ्यक्रम और शिक्षा विधि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक का योगदान व स्कूल का वातावरण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना के प्रसार में यूनेस्को की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- यूनेस्को के उद्देश्य व कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? वैश्वीकरण के गुण एवं दोष बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय समझ की बाधाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के प्रमुख कारण स्क्रेच स्रोत क्या हैं? इन्हें दूर करने हेतु व्यावसायिक सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक चुनौतीपूर्ण बच्चों को विद्यालय पर समान शैक्षिक अवसर कैसे उपलब्ध कराए जा सकते हैं?
- प्रश्न- कोठारी आयोग के द्वारा प्रवेश शिक्षा के अवसर व समानता व इससे सम्बन्धित सुझाव बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में शिक्षा की असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय आयोग के शैक्षिक अवसरों की समानता सम्बन्धी सुझावों को बताइए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान में अल्पसंख्यकों की सुविधाओं के लिये क्या प्रावधान किये गये हैं?
- प्रश्न- शिक्षा आयोग (1964-66) द्वारा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिये दिये गये सुझाव क्या हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता में शिक्षक की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- शिक्षा के सार्वभौमीकरण में बाधक 'शैक्षिक असमानता' को दूर करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव की गई?
- प्रश्न- शिक्षा किस प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय सदभावना का विकास कर सकती है?
- प्रश्न- विद्यालय को समाज से जोड़ने में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक अन्तःक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण में शिक्षक की क्या भूमिका हो सकती है?
- प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक अवसरों की समानता )
- प्रश्न- सर्व शिक्षा के बारे में बताइये एवं इसके लक्ष्यों, क्रियान्वयन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन क्या है? विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री साक्षरता कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्याह्न भोजन योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कॉमन स्कूल पद्धति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय के बारे में बताइये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिड डे मील स्कीम के गुण एवं दोष की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक कार्यक्रम )